ग़ज़ल उस में हर राज़ रौशनी का है.,
जो भी पैगाम ज़िंदगी का है,,
चल रहे हो मगर ज़रा सुन लो.,
रास्ता ये तो तीरगी का है,,
मेरी पलकों पे जो सितारे हैं.,
ये तो इनआम सर खुशी का है,,
उस के होंटों पे ताज़गी है मगर.,
रंग चेहरे पे एक ग़मी का है,,
खुश जो दिखते हैं खुश नहीं होते.,
मसअला ये भी ज़िंदगी का है,,
प्यार करते हैं अहले फिक्र-ओ-नज़र.,
फ़ैज़ ये मेरी शायरी का है,,
जानते है वही खुदी को सिराज.,
जिन पे इलज़ाम बे खुदी का है..! |