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Siraj Dehlvi
 
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SIRAJ DEHLVI : Kisi Ke Naam Ki Mahfil sajaye Baithe Hai.n
        
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ग़ज़ल...
	
किसी के नाम की महफिल सजाये बैठे हैं,
अंधेरी शाम है दीपक जलाये बैठे हैं,,

हमारी याद को जिस ने भुला दिया दिल से,
उसी को दिल में हम अपने बसाये बैठे हैं,,

अब इस से बढ़ के भला और क्या करे कोई,
किसी के प्यार में खुशिया लुटाये बैठे हैं,,

ये और बात के चेहरे पे ताज़गी है मगर,
जहाँ का दर्द वो दिल में छुपाये बैठे हैं,,

उन्हें खबर नहीं बिजली का क्या इरादा है, 
जो अपने प्यार का गुलशन खिलाये बैठे हैं,,

भला किसी से उन्हें क्या ग़रज़ ज़माने में,
यहाँ जो प्यार में सब कुछ भुलाये बैठे हैं,,

उन्हें खबर नहीं मैं सच ही बोलता हूँ ‘सिराज’,
वो मेरे सच पे जो तूफाँ उठाये बैठे हैं..!
 
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