ख़मोश होता हे क्यूँ दरिया इश्तआल के बाद
सवाल ख़त्म हुए उस के इस सवाल के बाद
वो लाश डाल गया कत्ल कर के साए में
उसे ख़याल मिरा आ गया जलाल के बाद
नये ज़माने का दस्तूर बस मआज़ अल्लाह
नवाज़ता है खिताबों से इन्तकाल के बाद
जहाँ को मैं ने बस इतनी ही अहमियत दी है
के जितनी क़ीमत-ए-आईना एक बाल के बाद
ये फ़ूल, चाँद, सितारे ये कहकशाँ ये घटा
अज़ीज़ ये भी हैं लेकिन तिरे ख़याल के बाद
वो शख़्स मुझको बस इतना सिखा गया आदिल
किसी को दोस्त बनाओ तो देखभाल के बाद
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