एक बात बताओ हम सब के बाप
एक बात बताओ हम सब के बाप
तुम्हारा कभी मरने का मूड नहीं होता
सच-सच बताना गुरु!
प्रकाशवर्ष सी लंबी उम्र खरचते-खरचते
कभी बोर नहीं होते
अच्छा चलो, माना, कि मर नहीं सकते
पर आत्महत्या की तो सोच सकते हो
बामियान से बगदाद तक तुम्हारी रचनाओं ने
क्या-क्या गुल नहीं खिलाए
अमां यार!
नैतिक ज़िम्मेदारी भी तो कोई चीज होती है
कहीं ऐसा तो नहीं प्रियवर!
ज्यों-ज्यों मरना चाहते हो
तुम्हारी उम्र बढ़ाते चले जाते हैं, तुम्हारे दुश्मन
अंधास्था और अफवाहों के भुक्खड़ भगवान
कितना इफरात है इन दिनों तुम्हारा ये भोजन
क्या गजब का पी आर बनाया है
तुम्हारे दुश्मनों ने चैनल वालों से
मेरे थुलथुल भगवान!
इस बुढ़ौती में
इतना अंट-संट खाकर भी
क्यों नहीं ख़राब होता तुम्हारा हाजमा
अच्छा मान लो, मेरे परम आत्म,
मरने का मन हो ही गया तुम्हारा,
तो
फाँसी लगा नहीं सकते!
चाकू, सल्फास और सायनाइड भी
तुम्हारे किसी काम का नहीं,
क्या करोगे आख़िर
किसी ब्लैक होल में कूदोगे
या अपना बड़ा अंश दे दोगे
चिरक्लांत किसानों को?
या फिर शर्म बचाने के लिए
लिपट जाओगे रस्सी बन कर
आत्मघाती बमों के चारों ओर
श्राद्धेय भगवान,
कितनी भयानक है इसकी कल्पना भी
कि हम मर नहीं सकते
कितने बेचारे हो दोस्त!
बताओ क्या मदद कर सकता हूँ तुम्हारी?
यार! सुना है कुछ मात्रा में
मेरे भीतर भी हो तुम,
अब तुम ही बताओ प्यारे!
क्या करूँ मैं इसका?
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