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Ahmad Kamal Parwazi
 
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* जो चोट दे गए उसे गहरा तो मत करो *
जो चोट दे गए उसे गहरा तो मत करो
हम बेवक़ूफ़ हैं, कही चर्चा तो मत करो

माना के तुमने शहर को सर कर लिया मगर
दिल जा नमाज़ है इसे रस्ता तो मत करो

बा-इख्तियार-ए- शहर-ए-सितम हो ये शक नहीं
लेकिन खुदा नहीं है ये दावा तो मत करो

बर्दाश्त कर लिया चलो बारीक पैराहन
पर इसको जान करके भिगोया तो मत करो

तामीर का जूनून मुबारक तुम्हें मगर ,
कारीगरों के हाथ तराशा तो मत करो ...
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