बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि एक बिहारी होने का मतलब यह नहीं है कि महाराष्ट्र विरोधी रुख अपनाये और उनके गृह राज्य के लोग किसी पर भार नहीं हैं।
बिहार स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में नीतीश ने मराठी में अपने भाषण की शुरुआत की और कहा कि मराठी बहुत मीठी जुबान है। महाराष्ट्र के लोग बहुत अच्छे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों को बिहार आने का निमंत्रण दिया।
नीतीश ने कहा कि आपके पास ज्ञान है और क्षमता है। आप महाराष्ट्र दिवस बिहार में मनाइये। उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानता कि क्यों कुछ मौकों पर समस्यायें पैदा हो जाती हैं। हम सभी भारतीय हैं और साथ मिलकर देश के विकास और प्रगति के लिये काम करना होगा। कई ऐसे जरूरी मुद्दे हैं जिनका हम सामना कर रहे हैं।
नीतीश ने कहा कि मुंबई भारत का अंग है और प्रत्येक भारतीय को इस पर गर्व है। उन्होंने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग किसी पर भार नहीं हैं। वास्तव में वे जिस शहर और राज्य में रहते हैं, उसकी प्रगति और विकास में योगदान देते हैं। बिहार और महाराष्ट्र में कई चीजें समान हैं।
इससे पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के नरम पड़ने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां पहुंचकर देश के उद्योगपतियों को बिहार में निवेश का न्यौता दिया। मुख्यमंत्री की उद्योगपतियों के साथ एक घंटे चली बैठक के बाद सूत्रों ने बताया कि नीतीश कुमार ने उद्योगपतियों से बिहार में निवेश करने का आग्रह किया, कुमार ने कहा कि राज्य में निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल है।
कुमार ने उद्योगपतियों से कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कारोबार संभावनाएं हैं। बैठक में वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल, भारत फोर्ज समूह के प्रमुख बाबा कल्याणी, आईसीआईसीआई बैंक की सीएमडी चंदा कोचर और एक्सिस बैंक की शिखा शर्मा सहित उद्योग जगत से जुड़ी अग्रणी हस्तियां उपस्थित थीं।
कुमार के मुंबई पहुंचने से पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे और नीतीश के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया था। ठाकरे ने उनके मुंबई पहुंचने पर बिहार के शताब्दी समारोह में व्यावधान पैदा करने की धमकी दे दी थी।
नीतीश ने मनसे की धमकी पर त्वरित टिप्पणी करते हुये कहा था कि उन्हें इस समारोह में भाग लेने से कोई नहीं रोक सकता, उन्हें मुंबई जाने के लिये किसी वीजा की आवश्यकता नहीं है। बाद में ठाकरे कुछ नरम पड़े और उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। कुमार ने कहा कि उनका इसमें कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है।
बिहार सरकार ने पिछले वर्ष ही अपनी नई औद्योगिक नीति घोषित की है जिसमें बिजली, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना प्रौद्योगिकी और उच्च शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों पर जोर दिया गया है।
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