donateplease
newsletter
newsletter
rishta online logo
rosemine
Bazme Adab
Google   Site  
Bookmark and Share 
design_poetry
Share on Facebook
 
Siraj Dehlvi
 
Share this Design Poetry to Aalmi Urdu Ghar
SIRAJ DEHLVI : Fasane Ko Haqiqat Kah Nahi Sakte Zamane Me
        
Siraj_Dehlvi_451421423917827.jpg
ग़ज़ल 
फसाने को हक़ीक़त कह नहीं सकते ज़माने में, 
बहुत ही फ़र्क़ होता है हक़ीक़त और फसाने में,,
हमेशा ज़िंदगी में हर क़दम पर बा-खबर रहना, 
छुपा रहता है ग़म यारो खुशी के आशियाने में,,
भला वो हाले दिल ग़ैरों का कैसे जान पाएँगें, 
मज़ा आता है जिनको दूसरों का दिल चुराने में,,
उन्हें भी हम कहें इंसान हरगिज़ ये नहीं होगा, 
तरस आता नहीं जिनको किसी का खूं बहाने में.
खुदाये पाक तू हमको बचाना ऐसे लोगों से, 
ज़रा भी दुख नहीं जिनको किसी का दिल दुखाने में,,
बिछाये फूल हम ने जिन की राहों में सदा यारो, 
झिझक उन को नहीं होती ज़रा पत्थर उठाने में,,
‘सिराज’ उस को भला क्या साया-ए-गुरबत डराएगा, 
हमेशा जो रहा करता है ग़म के शामियाने में..! 

सिराज देहलवी  06.02.2015
 
Comments


Login

You are Visitor Number : 378