donateplease
newsletter
newsletter
rishta online logo
rosemine
Bazme Adab
Google   Site  
Bookmark and Share 
design_poetry
Share on Facebook
 
Aalam Khurshid
 
Share to Aalmi Urdu Ghar
* एक अजब सी दुनिया देखा करता था *

एक अजब सी दुनिया देखा करता था

दिन में भी मैं सपना देखा करता था

एक ख्यालआबाद था मेरे दिल में भी

खुद को मैं शहजादा देखा करता था

सब्ज़ परी का उड़न खटोला हर लम्हे

अपनी जानिब आता देखा करता था

उड़ जाता था रूप बदल कर चिड़ियों के

जंगल, सहरा, दरिया देखा करता था

हीरे जैसा लगता था इक इक पत्थर

हर मिटटी में सोना देखा करता था

कोई नहीं था प्यासा रेगिस्तानों में

हर सहरा में दरिया देखा करता था

हर जानिब हरियाली थी खुशहाली थी

हर चेहरे को हँसता देखा करता था

बचपन के दिन कितने अच्छे होते हैं

सब कुछ ही मैं अच्छा देखा करता था

आँखें खुलीं तो सारे मंज़र गायब हैं

बंद आँखों से क्या क्या देखा करता था

*************

 
Comments


Login

You are Visitor Number : 326