जीवन तो है खेल तमाशा , चालाकी नादानी है
तब तक ज़िंदा रहते हैं हम जब तक इक हैरानी है
आग हवा और मिटटी पानी मिल कर कैसे रहते हैं
देख के खुद को हैराँ हूँ मैं , जैसे ख़्वाब कहानी है
इस मंज़र को आखिर क्यूँ मैं पहरों तकता रहता हूँ
ऊपर ठहरी चट्टानें हैं , तह में बहता पानी है
मेरे बच्चो ! इस धरती पर प्यार की गंगा बहती थी
देखो ! इस तस्वीर को देखो ! ये तस्वीर पुरानी है
आलम ! मुझको बीमारी है नींद में चलते रहने की
रातों में भी कब रुकता है मुझ में जो सैलानी है
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