समुन्दर ! समुन्दर !
बता !
मुझ को क्या हो गया है
मेरी प्यास ने
ये बहरूप कैसा भरा है
मैं अब
तेरी बे-अंत गहराइयों में
उतरना नहीं चाहता हूँ
तुझे बूंद-बूंद
अपने अंदर समोने की ख्वाहिश
फ़ना हो चुकी है
मेरी प्यास
शबनम के इक नन्हे क़तरे
ही से बुझ चुकी है .
समुन्दर समुन्दर !
********