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Abhishek Shukla
 
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* ’डैडी याद बहुत आते हो’ कुछ ऐसा भी मुझ& *

मम्मी को गले लगाते हो, कुछ पल मेरे भी पास रहो !
’डैडी याद बहुत आते हो’ कुछ ऐसा भी मुझे कहो !

मैनेँ भी मन मे जज़्बातोँ के तूफान समेटे हैँ,
ज़ाहिर नही किया, न सोचो पापा के दिल मेँ प्यार न हो!

थी मेरी ये ज़िम्मेदारी घर मे कोई मायूस न हो,
मैँ सारी तकलीफेँ झेलूँ और तुम सब महफूज़ रहो,

सारी खुशियाँ तुम्हेँ दे सकूँ, इस कोशिश मे लगा रहा,
मेरे बचपन मेँ थी जो कमियाँ, वो तुमको महसूस न हो!

हैँ समाज का नियम भी ऐसा पिता सदा गम्भीर रहे,
मन मे भाव छुपे हो लाखोँ, आँखो से न नीर बहे!

करे बात भी रुखी-सूखी, बोले बस बोल हिदायत के,
दिल मे प्यार है माँ जैसा ही, किंतु अलग तस्वीर रहे!

भूली नही मुझे हैँ अब तक, तुतलाती मीठी बोली,
पल-पल बढते हर पल मे, जो यादोँ की मिश्री घोली,

मम्मी से हाथ-खर्च मांगना, मुझको देख सहम जाना,
और जो डाँटू ज़रा कभी, तो भाव नयन मे थम जाना,

बढते कदम लडकपन को कुछ मेरे मन की आशंका,
पर विश्वास तुम्हारा देख मन का दूर वहम जाना!

वो तुम्हारा बैग उठा के , घर से स्टेशन को जाना ,
ट्रेन हुई आँखो से ओझल, पर हाथ देर तक फहराना,

दूर गये तुम अब, तो इन यादोँ से दिल बहलाता हूँ,
तारीखेँ ही देखता हूँ बस, कब होगा अब घर आना!

अब के जब तुम घर आओगे, प्यार मेरा दिखलाऊंगा,
मम्मी की तरह ही ममतामयी हूँ, तुमको ये बतलाऊंगा,

आकर फिर तुम चले गये, बस बात वही दो-चार हुई,
डैडी होना है ही कुछ ऐसा, फिर खुद को समझाऊंगा!

बेटा जिस दिन तुम डैडी बनोगे ,
उस दिन समझाऊंगा,

होता क्या है डैडी होना , मै खुद पूछने आऊंगा "
डैडी काश होते पास मेरे तो मै गले लग के रोता ,

रो रो के आपके शर्ट को भिगोता !
काश आपके पास मै होता !
आपकी बहुत याद आती है

***

 
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