कभी कभी बारिश को देखता हूँ तो लगता है के कोई खुशी से झूम रहा है
और कभी वही बारिश ऐसी लगती है जैसे कोई गम में रो रो रहा है
कभी उसी बारिश में भीग के लगता है के कोई अपनी बाँहों में भर रहा है
और कभी वाही बारिश ये एहसास दिलाती है कि कोई बाहों में भरने को तरस रहा है
ये बारिश भी अजीब है
अजीब है इसका बरसना
कभी बरसती है तो दुनिया हसीन लगती है
कभी बरसती है तो दुनिया रंगीन लगती है
और कभी ऐसा बरसती है कि दुनिया तरसती है
ये बारिश भी ना अजीब है
है ना ?
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