|
* महवे-तलाशे-राहत तू यह भी जानता है, *
महवे-तलाशे-राहत तू यह भी जानता है,
कहते हैं जिसको राहत वह गम की इन्तिहा है।
1. महवे-तलाशे-राहत - सुख-चैन की तलाश में लीन
*****
मौत है वह राज जो आखिर खुलेगा एक दिन,
जिन्दगी है वह मुअम्मा, कोई जिसका हल नहीं।
1.मुअम्मा - प्रतियोगिता, पहेली
*****
यह बज्मे-फलक इससे होगी न सूनी,
अगर टूट जायेंगे दो - चार तारे।
1.बज्मे-फलक - आकाश की महफिल यानी तारों की महफिल
*****
लिल्लाह! यह तुम देखने वालों से न पूछो,
कि क्या चीज हो तुम देखने वालों की नजर में।
1. लिल्लाह - ईश्वर के लिए, ईश्वर के नाम पर
|
|