donateplease
newsletter
newsletter
rishta online logo
rosemine
Bazme Adab
Google   Site  
Bookmark and Share 
design_poetry
Share on Facebook
 
Afsar Meruthi
 
Share to Aalmi Urdu Ghar
* महवे-तलाशे-राहत तू यह भी जानता है, *
   महवे-तलाशे-राहत तू यह भी जानता है,
कहते हैं जिसको राहत वह गम की इन्तिहा है।

1. महवे-तलाशे-राहत -  सुख-चैन की तलाश में लीन 
 
*****

मौत है वह राज जो आखिर खुलेगा एक दिन,
जिन्दगी है वह मुअम्मा, कोई जिसका हल नहीं।

1.मुअम्मा -  प्रतियोगिता, पहेली 

*****

यह बज्मे-फलक इससे होगी न सूनी,
  अगर टूट जायेंगे दो - चार तारे।

1.बज्मे-फलक - आकाश की महफिल यानी तारों की महफिल 
 
*****

    लिल्लाह! यह तुम देखने वालों से न पूछो,
कि क्या चीज हो तुम देखने वालों की नजर में।

1. लिल्लाह -  ईश्वर के लिए, ईश्वर के नाम पर
 
Comments


Login

You are Visitor Number : 321