donateplease
newsletter
newsletter
rishta online logo
rosemine
Bazme Adab
Google   Site  
Bookmark and Share 
design_poetry
Share on Facebook
 
Ajay Pandey Sahaab
 
Share to Aalmi Urdu Ghar
* मेरे मिसरों में खूं उतर आया *
मेरे मिसरों में खूं उतर आया 
अब मेरे शेर में असर आया 
 
मकतबे दर्द में पढ़े बरसों 
शेर कहने का तब हुनर आया 
 
दर्द इतना था मेरी ग़ज़लों में 
आज कागज़  का दिल भी भर आया 
 
मेरा क्या था सिवाय लफ़्ज़ों के 
वो भी तेरे ही नाम कर आया 
 
क्यूँ तू महफ़िल में दाद पाने को 
अपने मेयार से उतर आया 
 
जब भी दामन रफू किया हमने 
दर्द फिर से उसे कुतर आया 
 
गैर करते हैं क़त्ल ग़ज़लों का 
और इलज़ाम मेरे सर आया 
 
दास्ताँ थी तवील उनकी पर 
ज़िक्र मेरा तो मुख़्तसर  आया 
 
जब भी देखा है  दश्त लगता है 
देख आया वो मेरा घर आया 
 
याद आये तेरी तो लगता है 
दिल के सहरा में इक शजर आया 
 
वो जो नक्काद  है ज़माने का 
लेके अशआर ए बेअसर आया 
 
खूब अंदाज़ है इनायत का  
गैर का होके मेरे घर आया 
 
मेरा कातिल बड़ा मुहज्ज़ब है 
सर सलीके से काटकर  आया 
 
आज बैठा है जो बुलंदी पर 
पांओ गैरों के काटकर आया 
 
बादशाहों ने आइना देखा 
नातवाँ  फर्द ही नज़र आया 
 
जब क़फ़स की ये शब् मुक़द्दर है 
क्यूँ ये फिर खाबे बालो पर आया 
 
मेरी दुल्हन बनी ये ख़ामोशी 
यादों से इसकी मांग भर आया 
 
मर्जे दिल की अजीब क़िस्मत है 
मौत आई न चारागर आया 
 
ऐसा सावन सहाब ' आया कब 
जो न यादों से तर ब तर आया 
 
 
 
मकतबे दर्द ..दर्द की  पाठशाला 
 
तवील ..लम्बी 
नक्काद .आलोचक 
अशआर ए बेअसर ..अर्थहीन शेर 
मुहज्ज़ब ..सभ्य 
नातवाँ फर्द ..कमज़ोर ,मरणशील आदमी 
क़फ़स ..पिंजरा 
खाबे बालो पर .. पंखों का और पिंजरा तोड़ के उड़ने का सपना 
चारागर ..डॉक्टर 
 
सहाब 
 
Comments


Login

You are Visitor Number : 333