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* हर सिम्त फैली लाशें ,हर सिम्त क़त् *
नज़्म
इल्हाद (नास्तिकता )
हर सिम्त फैली लाशें ,हर सिम्त क़त्लो खूं है
कुछ सोचना जहाँ को मज़हब ने क्या दिया है ?
दुनिया के सागरों में ,पानी नहीं है उतना
मज़हब के नाम पर ही जितना लहू बहा है
मंसूर को कुचलना ईसा को मौत देना
हक की जुबां पे अपनी ताक़त का पैर रखना
मस्जिद कहीं बनाना कलीसा ओ दैर रखना
मज़हब ने ही सिखाया आपस में बैर रखना
तारीख दे रही है ये चीख कर गवाही
मज़हब का नाम लेके कितनी हुई तबाही
गैलेलियो पे सोचो बेदाद क्या हुए थे
बस इसलिए कि उसने खलाओं के सच कहे थे
क्रूसेड ने जलाया पूरा यूरोप यारो
नादिम हुए न फिर भी मुल्ला या पोप यारो
औरंगजेब ने भी यूँ मंदिरों को तोडा
कितनी ही बस्तियों को बर्बाद करके छोड़ा
हिन्दू ने ज़ात का और मज़हब का नाम लेकर
अपना ही मुल्क कैसे तकसीम करके छोड़ा
मज़हब के जिन्न ने ही जिन्ना बना दिया था
सरहद पे खूं का जैसे दरिया बहा दिया था
मज़हब ने ही बनाया वो गोंडसे सा शैतां
गांधी का क़त्ल भी तो मज़हब ने ही किया था
मंदिर का नाम लेकर इसने ही खूं बहाया
बाबर को राम से भी इसने ही था लड़ाया
मुल्ला को इसने देखो काहिल बना दिया है
पुजारी को कुछ नहीं बस जाहिल बना दिया है
जिस मुल्क में हज़ारों सोते हैं बस सड़क पर
उस मुल्क में ज़रा तुम मंदिर की शान देखो
सोना कहीं चढ़ा है हीरे कहीं जड़े हैं
ये धर्म की तिजारत ये आन बान देखो
कारुं से भी जियादा ज़रदार अपने साधू
बनके दलाल बेचें हथियार अपने साधू
सच बोलता था कोई मज़हब अफीम है बस
ज्यादा है इसमें बदबू ,थोड़ी शमीम है बस
इसने ही अमरीका का टावर गिरा दिया था
इक मुल्क ए पुर अना को जड़ से हिला दिया था
फिर अमरीका ने दिल में बदले की आग लेकर
मासूम मुस्लिमों का अंजाम क्या किया था ?
हर दौर में खिरद का दुश्मन रहा है मज़हब
कितनो को मारा फिर भी क्यूँ जी रहा है मज़हब
सदियों से खून पीकर प्यासा का प्यासा अब तक
इंसानियत के खूं को फिर पी रहा है मज़हब
सुन लो ऐ अक्ल वालों जब तक रहेगा मज़हब
तब तक हरेक खिरद पर पर्दा पड़ा रहेगा
करता रहेगा इन्सां, इन्सान पर ही हमले
घायल है अम्न जो वो ,घायल पड़ा रहेगा
कहता हूँ इस लिए बस मज़हब को मौत दे दो
माज़ी की कब्र में अब इसको सुला के रख दो
मुबादा हमारी धरती मज़हब मिटा दे लोगो
बेहतर है उस से पहले इसको मिटा के रख दो
जिनको बना दिया है दहशत का इसने पैकर
इन्सान सारे फिर से इन्सां बनेंगे पल में
सदियों से रो रही हैं अम्ने जहाँ की आँखें
तुम देखना ये आंसू सूखेंगे कैसे पल में
इल्हाद ....नास्तिकता
मंसूर ..अनल हक़ कहने पर जिनको मौत दे दी गयी
गैलेलियो ..मश'हूर साइंसदान जिसने धरती के सूरज के चारो तरफ घूमने का पता लगाया था तो बाइबिल में ऐसा नहीं लिखा करके उसे
धर्म गुरुओं ने सजा दी थी
कलीसा ओ दैर ..गिरिजाघर और मंदिर
खलाओं --अंतरिक्ष
कारुं ..प्रसिद्द अमीर जिनका बेशुमार खज़ाना था
शमीम ..खुशबू
मुल्क ए पुर अना -- घमंड से भरे देश
खिरद --बुद्धि
मुबादा ..कहीं ऐसा न हो
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