donateplease
newsletter
newsletter
rishta online logo
rosemine
Bazme Adab
Google   Site  
Bookmark and Share 
design_poetry
Share on Facebook
 
Anamika
 
Share to Aalmi Urdu Ghar
* मैट्रिक के इम्तिहान के बाद *
मैट्रिक के इम्तिहान के बाद 
सीखी थी दुल्हन ने फुलकारी ! 
दहेज की चादरों पर 
माँ ने कढ़वाये थे 
तरह-तरह के बेल-बूटे,
तकिए के खोलों पर 'गुडलक' कढ़वाया था ! 
कौन माँ नहीं जानती, जी, ज़रूरत 
दुनिया में 'गुडलक' की ! 

और उसके बाद? 
एक था राजा, एक थी रानी 
और एक थी ओढ़नी-
लाल ओढ़नी फूलदार! 

और उसके बाद?
एक था राजा, एक थी रानी 
और एक ख़तम कहानी ! 
दुल्हन की कटी-फटी पेशानी 
और ओढ़नी ख़ूनम-ख़ून !

अपने वजूद की माटी से 
धोती थी रोज इसे दुल्हन 
और गोदी में बिछा कर सुखाती थी
सोचती सी यह चुपचाप-
तार-तार इस ओढ़नी से 
क्या वह कभी पोंछ पाएगी
खूंखार चेहरों की खूंखारिता 
और मैल दिलों का?

घर का न घाट का-
उसका दुपट्टा 
लहराता था आसमानों पर- 
'गगन में गैब निसान उडै़' की धुन पर-
आहिस्ता-आहिस्ता !
****
 
Comments


Login

You are Visitor Number : 349