donateplease
newsletter
newsletter
rishta online logo
rosemine
Bazme Adab
Google   Site  
Bookmark and Share 
design_poetry
Share on Facebook
 
Arsh Malsiyani
 
Share to Aalmi Urdu Ghar
* कुछ शेर-4 / अर्श मलसियानी *
(1)
ऐ सितमगर मेरे इस हौसले की दाद दें,
सामने तेरे अगर फरियाद कर लेता हूँ मैं।
 
(2)
नहीं है राज कोई राज दीदावर के लिये,
नकाब पर्दा नहीं शौक की नजर के लिये।

(3)
बला है कहर है आफत है फित्ना है कयामत है,
हसीनों की जवानी को, जवानी कौन कहता है?

(4)
मिल गया आखिर निशाने-मंजिले-मकसूद मगर,
अब यह रोना है कि शौके-जुस्तजू जाता रहा।
 
(5)
यह किसने कह दिया गुमराह कर देता है मैखाना ,
खुदा की फजल से इसके लिए मंदिर हैं, मस्जिद हैं।
****
 
Comments


Login

You are Visitor Number : 336