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Asghar Gondvi
 
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* मौजों का अक्स है, ख़त-ए-जाम-ए-शराब मे& *
मौजों का अक्स है, ख़त-ए-जाम-ए-शराब में 
या ख़ून उछल रहा है, रग-ए-माहताब में 

वो मौत है कि कहते हैं, जिसको सुकून सब 
वो ऐन ज़िन्दगी है,जो है इज़्तराब में 

दोज़ख़ भी एक जल्वा-ए-फ़िरदौस-ए-हुस्न है 
जो इस से बेख़बर हैं, वही हैं अज़ाब में 

उस दिन भी मेरी रूह थी, मह्व-ए-निशात-ए-दीद 
मूसा उलझ गए थे, सवाल-ओ-जवाब में 

मैं इज़्तराब-ए-शौक़ कहूँ या जमाल-ए-दोस्त 
इक बर्क़ है जो कौंध रही है नक़ाब में
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