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Asghar Gondvi
 
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* खुदा जाने कहाँ है 'असग़र'-ए- दीवाना ब& *
खुदा जाने कहाँ है 'असग़र'-ए- दीवाना बरसों से
कि उस को ढूँढते हैं काबा-ओ-बुतखाना बरसों से 

तड़पना है न जलना है न जलकर ख़ाक होना है
ये क्यों सोई हुई है फ़ितरत-ए-परवाना बरसों से 

कोई ऐसा नहीं यारब कि जो इस दर्द को समझे
नहीं मालूम क्यों ख़ामोश है दीवाना बरसों से 

हसीनों पर न रंग आया न फूलों में बहार आई 
नहीं आया जो लब पर नग़मा-ए-मस्ताना बरसों से
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