हादसा
देखो, ये पर्वत पिघलता है
समंदर अब साफ दिखता है
आदमी की पहचान मुश्किल
हर कोई नकाब रखता है
कोई हादसा हुआ है शायद
कपड़े बदलने में वक्त लगता है
वो शख्स कुछ अजीब सा है
कुछ-कुछ इंसान सा लगता है
बस्ती में सो रहे हैं लोग अभी
जगने में कुछ तो वक्त लगता है
- बृजेश नीरज