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* तेरे आक़ा ने कहा तुझ से जिहादी है त *
तेरे आक़ा ने कहा तुझ से जिहादी है तू
ये बताया है कि जन्नत का भी दा'ई है तू
और शहादत की ही मंज़िल का सिपाही है तू
इन में से कुछ भी नहीं सिर्फ़ फसादी है तू
आज दे मुझ को ज़रा चंद सवालों के जवाब
माँओं की आँख में आंसू हों तो जन्नत कैसी ?
बेगुनाहों का तू क़ातिल है ,,शहादत कैसी ?
धोखे से मारते हो कैसे जिहादी हो तुम ?
खौफ़ ए अल्लाह नहीं कैसे नमाज़ी हो तुम ?
चंद बातें तू समझ ले यही अच्छा होगा
मेरे इस मुल्क की जानिब जो पलट कर देखा
वो चमक होगी की आँखें तेरी ख़ीरा कर दे
चूँकि हैं ज़ख्म हरे टीस सी इक उठती है
जब भी मज़लूम कराहों की सदा आती है
शातिर अज़हान पे तू जल्द लगा ले पहरा
अपने नापाक इरादों को हटा दे वरना
रोक देंगे तेरे बढ़ते हुए क़दमों को वहीँ
ये जवानान ए वतन , शान ए वतन , जान ए वतन
और महफ़ूज़ भी रखेंगे वही आन ए वतन
बस दुआएं हैं कि पूरा हो ये अरमान ए वतन
मुन्तज़िर आज भी है ख़ून ए शहीदान ए वतन
जल्द इन्साफ़ दिलाएं उसे अज़हान ए वतन
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