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Jameel Mazhari
 
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* देख के कर्रोफ़र दौलत की तेरा जी लल *
देख के कर्रोफ़र दौलत की तेरा जी ललचाय
सूँघ के मुश्की ज़ुल्फ़ों की बू नींद-सी तुझ को आए
जैसे बे-लंगर की किश्ती लहरों में बोलाय
मन की मौज में तेरी नीयत यूँ है डावाँडोल
तोल अपने को तोल,

यह गेसू, यह बिखरे गेसू, नाग हैं, काले नाग
इन तिरछी-तिरछी नज़रों को लाग है, तुझसे लाग
रूप की इस सुंदर नगरी से, भाग रे शाइर भाग
तुझसे तुझको छीन रहे हैं, यह परियों के गोल
तोल अपने को तोल ।
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