* ख़ुद-ब-ख़ुद नींद-सी आँखों में घुली *
हम से भागा न करो दूर ग़ज़ालों की तरह
हमने चाहा है तुम्हें चाहने वालों की तरह
ख़ुद-ब-ख़ुद नींद-सी आँखों में घुली जाती है
महकी महकी है शब-ए-ग़म तेरे बालों की तरह
और क्या इस से ज़्यादा कोई नर्मी बरतूँ
दिल के ज़ख़्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह
और तो मुझ को मिला क्या मेरी मेहनत का सिला
चंद सिक्के हैं मेरे हाथ में छालों की तरह
ज़िन्दगी जिस को तेरा प्यार मिला वो जाने
हम तो नाकाम रहे चाहने वालों की तरह
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