* शहर में घूम रहा है तेरा पागल कोई *
शहर में घूम रहा है तेरा पागल कोई
आज बरसेगा बड़े ज़ोर से बादल कोई
सुबह से बादे-सबा में है बड़ी खामोशी
तेरी आँखों से हुआ है कहीं घायल कोई
जब भी होता है सरे-बज़्म तेरा ज़िकरे-शबाब
मेरे सीने में शुरू होती है हलचल कोई
आईने में भी नज़र आता है चेहरा उसका
आँख में बस गया है बन के वह काजल कोई
इतना आसाँ न समझ राहे-मुहब्बत का सफ़र
टूट भी जाती है इस राह में पायल कोई
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