* यह मेरा दिल कोई ज़ाहिद का हरम थोड़ *
ग़ज़ल
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हर किसी में यहाँ बस जाने का दम थोड़ी है
यह मेरा दिल कोई ज़ाहिद का हरम थोड़ी है
ज़ीस्त है दश्त ए बयाबाँ भी कभी सैहरा भी
यह तेरी भीगी हुई ज़ुल्फ़ का ख़म थोड़ी है
वह तो अच्छा है मगर रस्मे मुहब्बत है बुरी
उसकी आदत के सबब उसका सितम थोड़ी है
मुस्कुराकर है ग़म ए दिल को छुपाना मुश्किल
यह तजरिबा मेरा, मैयकश का भरम थोड़ी है
है मेरा चाक गिरेबाँ तेरी उलफ़त का निशाँ
वर्ना सर पर मेरे इफ़लास का ग़म थोड़ी है
लब पे मैं ज़िक्र सितमगर तेरा लाता ही नहीं
मसलहत है यह मेरी, नज़रे करम थोड़ी है
तेरी उलफ़त में बहाया है पसीना बरसों
पैराहन मेरा यह बरसात से नम थोड़ी है
जो भी लिखता है छुपा लेता है दीवारों में
यह मेरा दिल किसी शायर का क़लम थोड़ी है
इश्क़ में मुछ को भटकने से बचाता है "हया॔त"
मेरा राहबर है वह, पत्थर का सनम थोड़ी है
जावेद हया॔त
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