* यूँ सरे-महफ़िल तड़प के दिल ने तड़प *
यूँ सरे-महफ़िल तड़प के दिल ने तड़पाया मुझे
उसने जब महफ़िल में अपनी ग़ैर बतलाया मुझे
थी मेरी दीवानगी या तेरी नज़रों का सिहर
मेरा मक़तल ही मेरी मन्ज़िल नज़र आया मुझे
मेरा रहबर मेरा साया धूप में जब खो गया
ज़र्फ़ ने तन्हा मेरे मन्ज़िल पे पहुँचाया मुझे
दुश्मने-जाँ ने तरस खाके मेरा दरमाँ किया
बज़्मे-याराँ ने जो देकर ज़ख़्म तड़पाया मुझे
ज़िन्दगी से रहनुमाई की करूँ उम्मीद क्या
ज़िन्दगी ने ही मेरी सौ बार बहकाया मुझे
खो गया तारीख़ में जब ज़िक्र मेरा भी हया॔त
दास्तानों ने वफ़ा की आप दोहराया मुझे
जावेद हया॔त
|