* पुख़्तगी ख़यालों में नुदरतें बया *
पुख़्तगी ख़यालों में नुदरतें बयानों में
हौसला है आज भी हम से बे ज़ुबानों में
लग़्ज़िशों के साथ साथ वहशतें हैं हर तरफ़
है सकूत का आलम आज सब मकानों में
इक तरफ़ अंधेरे हैं इक तरफ़ उजाले हैं
अक्स है यक़ीं का भी आज कुछ गुमानों में
घुट रहा है आज भी जिनमें दम मुहब्बत का
ढूंढता हूँ प्यार का फूल उन मकानों में
आसमानों में न उड़ ज़िन्दगी की दोड़ में
आसमाँ पे रख नज़र अज़्म की उड़ानों में
इश्क़ में न शर्रारे हुस्न में न राअनाई
अब वफ़ायें भी कहाँ प्यार के फ़सानों में
ऐ हया॔त ऐसा भी काश इक मक़ाम आये
ज़िन्दगी हो हर जानिब अज़्म की चटानों में
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