* वो मेरे दिल में गर नहीं आता *
वो मेरे दिल में गर नहीं आता
दिल पे ग़म इस क़दर नहीं आता
वो दिखे है हर एक चेहरे में
उसका चेहरा नज़र नहीं आता
मैं भी गुमनाम होके रह जाता
तेरे मक़तल में गर नहीं आता
उनको दिखता है सब जहाँ का हुनर
इश्क़ मेरा नज़र नहीं आता
वो अना है के या है ख़ुद्दारी
दिल में रहता है घर नहीं आता
बे वज़ू हमने उनको माँगा क्या ?
क्यों दुआ में असर नहीं आता
उसकी ख़ुश्बू की कुछ नहीं क़ीमत
ख़ार जिस फूल पर नहीं आता
उनसे थी मुझको रहबरी की उमीद
जिनको करना सफ़र नहीं आता
इसलिए भी हूँ दर-बदर मैं हया॔त
बेख़ुदी का हुनर नहीं आता
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