* वाइज़ का वाज़े शोला बयाँ भी सुना क *
वाइज़ का वाज़े शोला बयाँ भी सुना किए
था दिल में जो हमारे वही हम किया किए
जोशे जुनूँ का फैज़ था हम पर कि दोस्तो
असरारे जिंदगानी भी हम पर खुला किए
रक्खी हुई थी जिस पे हमारी असासे दिल
"तू ने वोह गंजहाए गराँ माया क्या किए"
इक चश्मे इल्तेफात भी हम पर नहीं हुई
हम अर्जे हाल करते रहे वोह सुना किए
दरकार कब रहे हैं यह जाम ओ सुबू हमें
साक़ी कि चश्मे नाज़ से जी भर पिया किए
भटकें न रास्तों में कहीं रहरवाने शौक़
बन कर चिराग़े राहे सफ़र हम जला किए
जागीरे दिल के इक वही तनहा थे हुक्मराँ
हम ने खिराजे अश्क भी उनको अदा किये
गम्हाए रोज़गार गमे दिल गमे फ़िराक
बे रंग ज़िन्दगी थी मगर हम जिया किए
हम ने कभी किया न रफूगर कोई तलाश
मसउद ख़ारे ग़ुल से ही दमन सिया किए
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