* जब परिंदा उड़ान में आया *
जब परिंदा उड़ान में आया
तीर फ़ौरन कमान में आया
तू ही दे जायेगा दग़ा इक दिन
ये न वहम ओ गुमान में आया
मैं ने माँगा ख़राजे दिल उस से
अश्क ही बस लगान में आया
आज खुश हैं बहुत ये ग़म मेरे
ग़म नया ख़ानदान में आया
ये है एजाज़ माँ के आँचल का
धूप से साए बान में आया
खुल गया सब भरम सफ़ेदी का
जब से कोएले की खान में आया
उस ने अपनाया लखनवी लहजा
इक असर तो ज़बान में आया
हो के मजबूर भूख से मसऊद
फ़न भी लेकर दुकान में आया
**** |