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Naseer Ahmad Nasir
 
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* बरज़ख धुंधले ख्वाबों का *
बरज़ख धुंधले ख्वाबों का
 
एक याद क़दीमी गलियों में
एक दर्द पुराना रस्ते में
एक रंग अनोखा कलियों में
एक फूल अजब गुलदस्ते में
एक गीत नहाती पत्तों में
एक बेल सुतूँ से लिपटी है
एक सुबह अज़ल से चमकी है
एक शाम अब्द तक ठहरी है
एक चाँद रुका है खिड़की पर
एक रात बहुत ही गहरी है
एक दश्त का सीना छलनी है
एक हाथ पड़ा है खंजर पर
एक ज़ख्म लगा है मिट्टी को
एक सब्ज़ रिदा सी बंजर पर
एक हार गुलाबी बाहों का
एक बरगद बूढ़ी सदियों का
एक बरज़ख धुंधले ख्वाबों का
एक आलम जागती नींदों का
एक उम्र का सारा क़िस्सा है
दुःख दर्द ख़ुशी का हिस्सा है
 
(नसीर अहमद नासिर , 2001)
 
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