* दामन भी खाली हो गया खुषियां जलाते *
दामन भी खाली हो गया खुषियां जलाते जलाते....
बरबाद हो गये हम तुझको भुलाते भुलाते....
थक गयीं रातों की परियां हो गयीं सुनसान गलियां....
मायूस हो गयी हवा भी मुझको सुलाते सुलाते....
बढ़ गर्इ मंजिल की दूरी चाह रह गर्इ अधूरी....
आ गये हम कब्र तक दूरी घटाते घटाते....
इष्क में हारे हैं यारोें हुस्न के मारे हैं यारो....
मिट गये हम उनके दिल से नफ़रत मिटाते मिटाते....
***** |