* बे-इत्तिफाकी से गुज़र चलता है, *
बे-इत्तिफाकी से गुज़र चलता है,
दिलों के फासलो से डरता हूँ.....
फाखिर बनकर कौन जी सका है....
सुलह कि पहल सदा करता हूँ....
कुछ कायम है अभी ज़ाबिता....
संभल संभलकर चलता हूँ....
जिंदगी गुम्गस्ता ना हो जाये....
नसीहतों पे अमल करता हूँ....
तारीख मुक़र्रर सभी कि है राज....
मुसाफिर हूँ सफर करता हूँ....
**** |