* दर्द भरी आवाज़ ने कितने ज़ख़्मी द *
Tribute to जगजीत सिंह......by --तासीर सिद्दीकी
दर्द भरी आवाज़ ने कितने ज़ख़्मी दिलों पे मरहम रखे थे ;
उदास और पीले चेहरों पर बहारों के मौसम रखे थे ;
मोडर्न डिस्को के दौर में नयी नस्ल की ज़बान पर ,
ग़ज़ल और नज़मों के उसने सामान -ए-सरगम रखे थे
ग़मगीन था मगर,औरों के होठों पे थी उसने हसी उगाई ,
हारे हुए दिलों पर उसने जीत के परचम रखे थे |