* हमेशा है वस्ल-ए-जुदाई का धन्धा *
हमेशा है वस्ल-ए-जुदाई का धन्धा
बुतों की है उल्फ़त ख़ुदाई का धन्धा
अगर बैठें रिन्दों की सोहबत में ज़ाहिद
तो दें छोड़ सब पारसाई का धन्धा
जो होना है आख़िर वो हो कर रहेगा
करे कौन बख़्त-आज़माई का धन्धा
परेशां रही उम्र पर न छोड़ा
तेरी ज़ुल्फ ने कज-अदाई का धन्धा
मुबारक रईसों को कार-ए-रियासत
गदा को है काफ़ी गदाई का धन्धा
नहीं ख़िज्र के पीछे गर और झगड़े
तो है साथ इक रहनुमाई का धन्धा
‘ज़फ़र‘ इस से बहतर है ना-आशनाई
कि मुश्किल है ये आशनाई का धन्धा
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