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* काम अपने चांदनी की क्या इमारत आएगì *
काम अपने चांदनी की क्या इमारत आएगी,
अपने हिस्से में तो केवल दर्द की छत आएगी
इस डगर पर अनवरत दीपक जलाते जाइए,
इस डगर से एक दिन अपनी हुकूमत आएगी।
तब तुझे अहसास होगा, देवता के स्वर्ग से,
तेरी बगिया की कली होकर हताहत आएगी।
धैर्य रखिए, आप भी हैं भारतीय मित्रवर,
धीरे-धीरे आएगी मिटने की आदत आएगी।
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