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* ज़ख्म ताज़ा हरा हरा-सा है। *
ज़ख्म ताज़ा हरा हरा-सा है।
ये तजुर्बा नया नया-सा है।
वो जो घर है मेरे पिता जैसा,
और वो पेड़ भी दुआ-सा है।
शर्त थी सूर्य बांटने की यहाँ,
क्या हुआ हर तरफ कुहासा है।
कल जो निकला था बदलने तस्वीर,
आज कितना थका थका-सा है।
कल तलक जो अमन की बस्ती थी,
क्या हुआ हर तरफ धुआं-सा है
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उसने खुशबू की ज़ुबानी लिख दी,
फूल ने प्रेम कहानी लिख दी& |
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