मौत से आगे सोच के आना फिर जी लेना
छोटी छोटी बातों में दिलचस्पी लेना
जज़्बों के दो घूँट अक़ीदों [1] के दो लुक़मे [2]
आगे सोच का सेहरा [3] है, कुछ खा-पी लेना
नर्म नज़र से छूना मंज़र की सख़्ती को
तुन्द हवा से चेहरे की शादाबी [4] लेना
आवाज़ों के शहर से बाबा ! क्या मिलना है
अपने अपने हिस्से की ख़ामोशी लेना
महंगे सस्ते दाम , हज़ारों नाम थे जीवन
सोच समझ कर चीज़ कोई अच्छी सी लेना
दिल पर सौ राहें खोलीं इनकार ने जिसके
‘साज़’ अब उस का नाम तशक्कुर [5] से ही लेना
शब्दार्थ:
↑ श्रद्धाओं
↑ निवाले
↑ रेगिस्तान
↑ ताज़गी
↑ शुक्रिया / धन्यवाद