donateplease
newsletter
newsletter
rishta online logo
rosemine
Bazme Adab
Google   Site  
Bookmark and Share 
design_poetry
Share on Facebook
 
Ameer Minai
 
Share to Aalmi Urdu Ghar
* सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब आहिस्ê *
सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता 
निकलता आ रहा है आफ़ताब आहिस्ता-आहिस्ता 

जवाँ होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा 
हया यकलख़त आई और शबाब आहिस्ता-आहिस्ता 

शब-ए-फ़ुर्कत का जागा हूँ फ़रिश्तों अब तो सोने दो 
कभी फ़ुर्सत में कर लेना हिसाब आहिस्ता-आहिस्ता 

सवाल-ए-वस्ल पर उन को अदू का ख़ौफ़ है इतना 
दबे होंठों से देते हैं जवाब आहिस्ता आहिस्ता 

हमारे और तुम्हारे प्यार में बस फ़र्क़ है इतना 
इधर तो जल्दी जल्दी है उधर आहिस्ता आहिस्ता 

वो बेदर्दी से सर काटे 'अमीर' और मैं कहूँ उन से 
हुज़ूर आहिस्ता-आहिस्ता जनाब आहिस्ता-आहिस्ता
****
 
Comments


Login

You are Visitor Number : 363