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Ana Qasmi
 
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* ये फ़ासले भी, सात समन्दर से कम नहीं, *
ये फ़ासले भी, सात समन्दर से कम नहीं,
उसका ख़ुदा नहीं है, हमारा सनम नहीं |

कलियाँ थिरक रहीं हैं, हवाओं के साज़ पर,
अफ़सोस मेरे हाथ में काग़ज़ क़लम नहीं |

पी कर तो देख इसमें ही कुल कायनात है,
जामे-सिफ़ाल1 गरचे मिरा जामे-जम2 नहीं |

तुमको अगर नहीं है शऊरे-वफ़ा तो क्या,
हम भी कोई मुसाफ़िरे-दश्ते-अलम3 नहीं |

टूटे तो ये सुकूत4 का अ़ालम किसी तरह,
गर हाँ नहीं, तो कह दो ख़ुदा की क़सम,नहीं |

इक तू, कि लाज़वाल5 तिरी ज़ाते-बेमिसाल,
इक मैं के जिसका कोई वजूदो-अ़दम6 नहीं|

1. मिट्टी का प्याला 2. जमशेद बादशाह का,
वो प्याला जिसमें वो सारा संसार देखता था |
3. मुसीबतों के जंगल का राही 4. ख़ामोशी
5. अमिट 6. अस्तित्व एवं नश्वरता 
 
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