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Ana Qasmi
 
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* यूँ इस दिले नादाँ से रिश्तों का भर *
यूँ इस दिले नादाँ से रिश्तों का भरम टूटा
हो झूठी क़सम टूटी या झूठा सनम टूटा

सागर से उठीं आहें, आकाश पे जा पहुँचीं
बादल सा ये ग़म आख़िर बा दीदा-ए-नम टूटा

ये टूटे खंडहर देखे तो दिल ने कहा मुझसे
मसनूई1 ख़ुदाओं के अबरू का है ख़म टूटा

बाक़ी ही बचा क्या था लिखने के लिए उसको
ख़त फाड़ के भेजा है, अलफ़ाज़ का ग़म टूटा

उस शोख़ के आगे थे सब रंगे धनक फीके
वो शाख़े बदन लचकी तो मेरा क़लम टूटा

बेचोगे 'अना' अपनी बेकार की शय2लेकर
किस काम में आयेगा जमशेद3 का जम4टूटा

1 झूठे 2 चीज़ 3 एक बादशाह 4 उसका मशहूर प्याला
 
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