अब मुझ को फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या? वो मुँह पे कह गए--"यह मर्ज़ लाइलाज है"॥ इज़्ज़त कुछ और शय है, नुमाइश कुछ और चीज़। यूँ तो यहाँ खूरोस के सर पर भी ताज है॥ ****