मुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे हैं। हाँ आप इक ऐसे हैं कि ख़ूश होके उठे हैं॥ मुँह उठके तो सब धोते हैं ऐ दीदये-खूंबाज़। बिस्तर से हम उठे हैं तो मुँह धोके उठे हैं॥ ****