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Jawaid Hayat
 
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* शहर में घूम रहा है तेरा पागल कोई *
शहर में घूम रहा है तेरा पागल कोई
आज बरसेगा बड़े ज़ोर से बादल कोई

सुबह से बादे-सबा में है बड़ी खामोशी
तेरी आँखों से हुआ है कहीं घायल कोई

जब भी होता है सरे-बज़्म तेरा ज़िकरे-शबाब
मेरे सीने में शुरू होती है हलचल कोई

आईने में भी नज़र आता है चेहरा उसका
आँख में बस गया है बन के वह काजल कोई

इतना आसाँ न समझ राहे-मुहब्बत का सफ़र
टूट भी जाती है इस राह में पायल कोई
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