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Jawaid Hayat
 
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* यूँ सरे-महफ़िल तड़प के ......... दिल ने तड़& *
ग़ज़ल

यूँ सरे-महफ़िल तड़प के ......... दिल ने तड़पाया मुझे
उसने जब महफ़िल में अपनी ....... ग़ैर बतलाया मुझे
थी मेरी दीवानगी ............ या तेरी नज़रों का सिहर
तेरा मक़तल ही मेरी ......... मंज़िल नज़र आया मुझे
मेरा रहबर मेरा साया ............ धूप में जब खो गया
ज़र्फ़ ने तन्हा मेरे .............. मंज़िल पे पहुँचाया मुझे
दुश्मन ए जाँ ने तरस खा के ......... मेरा दरमाँ किया
बज़्म ए याराँ ने जो देकर ......... ज़ख़्म तड़पाया मुझे
ज़िंदगी से रहनुमाई की करूँ .............. उम्मीद क्या
ज़िंदगी ने ही मेरी सौ बार .............. बहकाया मुझे
खो गया तारीख़ में जब .......... ज़िक्र मेरा भी हया॔त
दास्तानों ने वफ़ा की ............... आप दोहराया मुझे
जावेद हया॔त
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