* वह सर झुका के मुहब्बत की बात टालें *
ग़ज़ल
वह सर झुका के मुहब्बत की बात टालेंगे
वफ़ा का नाम लिया तो नज़र चुरा लेंगे
दिलो-जिगर के सभी दर्द हम उठा लेंगे
जो अश्क आँख से छलके तो मुस्कुरा लेंगे
जो दिल में दर्द शबे-हिज्र का हुआ मद्हम
तो ख़ुआबे-वस्ले-मुहब्बत को हम जगा लेंगे
वफ़ा की राह में चलने का अज़्म तो करलो
तुम्हारे पाँव की लग़्ज़िश को हम सँभालेंगे
है दिल जो संग तेरा संग-तराश हैं हम भी
तुझे तराश के हम अपने रंग में ढालेंगे
मैं पूछ लूँगा हयात उनसे इश्क़ का अन्जाम
मेरी नज़र से वह जब भी नज़र मिला लेंगे
जावेद हया॔त
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