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Jawaid Hayat
 
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* "एक मस्ती भरा गीत" *
 "एक मस्ती भरा गीत"
 
मैं न पीने की तोबा तो कर लूँ मगर
मैयकदा छोड़ कर मैं किधर जाऊँ !!
 
 
 
कैसे बुझ पायेगी मेरे दिल की अगन
उस को न देखूँ तो झूमे मेरा बदन
उसकी ख़ुशबू से महके हैं दिल और जिगर
देख कर फूलों सा रंग बहकी नज़र
है निहाँ उसकी शोख़ी सितारों मे भी
हेच हैं उसके आगे नज़ारे सभी
चाँद सूरज से रौशन है दुनिया अगर
मेरा दिल उसके दम से है रौशन मगर
उसको होंटों से छूकर मिले ज़िन्दगी
उसको छोड़ूँ तो कब तक रहे ज़िन्दगी
 
 
 
छोड़ने का है मतलब कि मर जाऊँ
अपने सीने को ख़ुद चाक़ कर जाऊँ  
मैयकदा छोड़ कर मैं किधर जाऊँ !!
 
 
 
यह समझते हैं सब कि शराबी हूँ मैं
कौन जाने कि चेहरा हिजाबी हूँ मैं
मेरे पीने में चाहत का है इम्तेज़ाज
मेरे सीने में है आशिक़ी का मिज़ाज
जिस में हुस्न आज भी मुझ को बाक़ी मिला
सारे आलम में बस एक साक़ी मिला
मैं न जानूँ कि होती है क्या मैयकशी
मैं बुझाता हूँ बस आग दिल की लगी
मैं न जाता कभी मैयकदे मे अगर
जो न खुलता वहाँ मेरे साक़ी का दर !!
मैं शराबी नहीं, मैं शराबी नहीं
उसकी आँखों से पीना ख़राबी न
  
छोड़ कर उसका दामन अगर जाऊँ
तो ज़हर पीके थोड़ा सा, मर जाऊँ
मैयकदा छोड़ कर मैं किधर जाऊँ !!
  
  
जावेद हया॔त
 
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