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Jawaid Hayat
 
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* दिल की हस्ती पे अगर वक़्त की तासीर  *
दिल की हस्ती पे अगर वक़्त की तासीर लिखूँ
दिन को ख़ंजर लिखूँ और रात को शमशीर लिखूँ
जब भी मैं अपनी तमन्नाओं की तफ़सीर लिखूँ
दिल को इक क़फ़स लिखूँ दर्द को ज़ंजीर लिखूँ
इश्क़ शौला है तो जलना ही मुक़द्दर होगा
इब्तिदा ए रहे उलफ़त में ये ताज़ीर लिखूँ
रस्मे दुनिया में मुहब्बत को जो लाज़िम करदे
तर्ज़े दुनिया पे सरे नौ कोई तहरीर लिखूँ
अब न बरसेगी ग़म ए हिज्र से ये सूख चुकी
चश्मे बीना में अगर लम्हा ए शब गीर लिखूँ
कोई आए जो सरे जलवा गहे नाज़ नज़र
पैकर ए हुस्न पे मैं इश्क़ की तामीर लिखूँ
उंगलियाँ चुन न सकीं रंग सितमगर तेरे
हाथ से बन न सकी जो तेरी तस्वीर लिखूँ
वो जो लिखता है जफ़ा रोज़ ये कहता है मुझे
मैं हथेली में छुपी इश्क़ की तक़दीर लिखूँ
नींद में आया हर इक ख़ुआब अधूरा है हया॔त
हौश में ख़ुआब लिखूँ ख़ुआब की ताबीर लिखूँ
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