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Jigar Moradabadi
 
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* दिल में तुम हो नज़अ का हंगाम है *
दिल में तुम हो नज़अ का हंगाम है 
कुछ सहर का वक़्त है कुछ शाम है
 
इश्क़ ही ख़ुद इश्क़ का इनआम है
वाह क्या आग़ाज़ क्या अंजाम है

दर्द-ओ-ग़म दिल की तबीयत बन चुके 
अब यहाँ आराम ही आराम है 

पी रहा हूँ आँखों-आँखों में शराब 
अब न शीशा है न कोई जाम है 

इश्क़ ही ख़ुद इश्क़ का इनाम है 
वाह क्या आग़ाज़ क्या अंजाम है 

पीने वाले एक ही दो हों तो हों 
मुफ़्त सारा मैकदा बदनाम है
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