मोजिद ओ मुफक्किर कर दिया तू ने यह साबित, ऐ दीलावर 'आदमी' ज़िन्दगी क्या , मौत से लेता है टक्कर 'आदमी' काट सकता है रके गर्दन से खंजर आदमी लश्करो को रोन्द सकता है .... आदमी ****